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Sunday, September 25, 2011

paani paani re

paani paani  re
तस्वीर्रे  बोलती  है , सन्देश  देती  है  तो  कभी  चिढाती  भी  है . ताजगी  से  भरी  इस  तस्वीर  को  देखिये  इसमें  हर  एक  के  लिए  , कुछ  न  कुछ  जरुर  है . अपने  चेहरे  पर  आप  पानी  की  बूंदे  महसूस  कर  सकते  है , बिना  नहाये  खुद  को  तरोताजा  महसूस  कर  सकते  है , दिल  की  धडकनों  में  एक  रूमानी  संगीत  महसूस  कर  सकते  है  और  तो  और  नहाने  के  लिए  आप   बाथरूम    की  तरफ  कूच  भी  कर  सकते  हैं .          

लेकिन  जब  से  मैंने  इस  तस्वीर को  देखा  है  लगता  है  मुझे  चिढ़ा  रही  है , मानो  पूछती  है  मुझसे —क्यों ? क्या  है   इतना  पानी  तुम्हारे  घर  की  टंकी  में  के  इस  तरह  नहा  सको ? क्या  है  इतनी  जगह  बाथरूम  में  की  दो  लोग  समां  सको  ? साधारण  सा  प्रश्न  मगर  मैं  मौन  , निरुत्तर  और  पानी  पानी  . सोचता  हूँ  कमबख्त  ने  किस  दुखती  रग पर  हाथ  धर  दिया   पानी  खर्च  करने  पर  तो  सचमुच बड़ी  पाबंदी  है  मेरे  घर .  पानी  बर्बाद   करने  का  अधिकार  सिर्फ  काम  करने  वाली  बाई  को  है , कोई  उसे  कुछ  नहीं  कहता  है  सभी  डरते  हैं  कही  काम  छोड़  दिया  तो ?? 

 चिढाना  आसन  है  , तस्वीर  को  क्या  पता  मध्यवर्गीय  बाथरूम   की  गौरव  गाथा . एक  बाथरूम  और  6 आदमी , बड़ी  गरिमा  और  तालमेल   के  साथ  इसकी  सेवा  ली  जाती  है . सभ्य  आदमी  की  तरह  हम  कतार  में  होते  है  तालमेल  इस  बात  का   की  कौन  कब  जाएगा . इसके  लिए  हमारे  सो कर उठने  के  समय  में  अंतराल  है ,  हम  एक  साथ  उठ  कर  बाथरूम  के  लिए  दौड़  नहीं  लगाते . हाँ  कभी  कभार  कतार  में  सेंधमारी  हो  जाती  है . ऐसा  हो  सकता  है    की  नंबर  आप  का  हो  और  कोई  दौड़  के  घुस  जाये , और  आप  चिल्लाते  फिरे - साले निकल  बाहर . और  बहार  खड़े  हम  भीतर  वाले  को  पानी  बर्बाद  करने  की  आजादी  नहीं  देते  . कहेंगे - कितना  पानी  गिरा  रहे  हो  आज  नहीं  निकलोगे  क्या ? यानि  हर  वक्त  हम   जल  खर्ची  को  लेकर  बिल्कुल सतर्क  है ..

 घर  में यदि  मेहमान  हो  तो  हमारी  सतर्कता  देखते  बनती  है . दो  सदस्यी  टीम  जल  भण्डारण  को  बिल्कुल  मुस्तैद   रहती  है  हमेशा भय  बना  रहता  है  के  कही  पानी  समाप्त  न  हो  जाये  कहीं  मेहमान  potty में  फँस  न  जाए , घर  का  आदमी  तो  फिर  भी   आपातकालीन  जलकोष  से  पानी  की  मांग  कर  लेगा  , लेकिन  मेहमान  वो  तो  शर्म   और  संकोच  से  मुख  से   आवाज  निकाल ही  न  पायेगा  सोचेगा - पता  नहीं  कोई   आपातकालीन  व्यवस्था  है  भी  या  नहीं , पता  नहीं  मांगने  पर  डांटदे  की   आपको  सुनिश्चित  कर  के  ही  जाना   था . 

 100 प्रतिशत    सरकारी  नल  दिनभर  पानी  बहाते है , जल   वैज्ञानिक  बताते  है  40% पानी  हमलोग  बर्बाद  कर  देते  है , उनका  अनुमान  है  की  2030 में  भीषण  जल  संकट  पैदा  होगा ,तब  पानी  पेट्रोल  को  आँख  दिखाएगी , प्रेमी  प्रेमिका  को   कहेगा  –प्रिये  इस  b day पर  तुम्हे  एक  tanker  पानी  की  अनुपम  भेट  मिटा  लो  अपनी  नहास  को  और  प्रेमिका  कहेगी  –wow   कल  तो  सारा  दिन  नहाना  है … सोचता  हूँ  जल  संकट  के  उस  घडी  में  हमारी  जल  प्रबंधन छमता  बड़ी     काम    आने  वाली  है , जब  पानी   बन  जाएगी  दो  बूँद  जिंदगी  की , और  लोग  …सुबह  शाम  प्रार्थना  में गाएंगे  पानी  पानी  रे   पानी  पानी रे..... ................... r…….

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