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Monday, October 24, 2011

चूहेदानी

दुनिया में आदमी दो तरह के होते है.  एक जो समस्या की आह्ट पाते ही उसके निदान में लग जाते हैं , दूसरे मेरी तरह के बतफरोश,निकम्मे लोग जो समस्या के साथ  तब तक नैन मटक्का करते हैं जब तक समस्या  तांडव न  करने लगे . हमारी  सबसे बड़ी समस्या  हमारी धर्मपत्नी है  और उनकी सबसे बड़ी समस्या फिलवक्त चूहे हैं .चूहों  से निपटने की सरलतम विधा है चूहेदानी ,पर खरीदना कितना मुश्किल ,की पिछले चार दिनों से बेशर्मो की तरह डांट खा रहे हैं पर चूहेदानी नहीं ला रहे हैं  पत्नी कहती है चूहा दिन पर दिन मोटा होता जा रहा है हमने कहा आरी भाग्यवान चूहा अपने किस्मत की खा रहा है कौन सा तुमपर  आक्रमण करने जा रहा है पत्नी चिल्लाई आज यदि चूहेदानी नहीं लाओगे, घर में घुस नहीं पाओगे.
            ढीठ  और निकम्मे आदमियों  के लिए दुत्कार  बड़ी रामबाण दवा होती है. दवा ने हम पर जादू की तरह असर किया और अगले ही छन  हम खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर चुके थे .एक अच्छे quality  का चूहेदानी दिखाईये  उसने दिखाया  हमें उसका रंग पसंद नहीं आया फिर भी एक अच्छे ग्राहक की तरह  हमने चूहेदानी की गुणवत्ता जांचनी शुरू कर दी .हमने पूछा इसमें चूहा फंसेगा दूकानदार बोला - अजीब आदमी है चूहेदानी है  चूहा  ही फंसेगा शेर नहीं .हमने कहा -गारंटी  देते हो चूहा फंसेगा .बोला नहीं  चूहा फंसने की कोई गारंटी  नहीं है चूहे का फंसना चूहे के विवेक पर निर्भर करता है चूहा अगर विवेकशील हुआ तो पिंजरे में क्यों आएगा ,तो क्या दोष  हमारे चूहेदानी का हो  जायेगा .
            हमारे पैरो तले जमीं खिसक गयी. दुकानदार व्यंग की भाषा में बातकर रहा था ,और हम पर भारी  भी पड़ रहा था . हमने उससे पीछा छुडाने में ही अपनी भलाई समझी और पुराना पैतरा अपनाया -इससे एक साइज़  बड़ा है - हमने पूछा . जवाब आया -जाईये अपने चूहे का नाप ही ले आईये .  इस हमले केलिए हम  तैयार न थे ,हम बचाव की मुद्रा में आ गए  बोले -आप तो नाराज हो गए ,मैं तो बस ये सुनिश्चित कर लेना चाहता था की इसमें हर साइज़ का चूहा आ जायेगा . दुकानदार बोला- इससे  मूर्खतापूर्ण प्रश्न क्या हो सकता है यदि आपका चूहा इस चूहेदानी से बड़ा है तो आपको चूहेदानी की नहीं बन्दूक की जरुरत है उसका शिकार करिए चूहेदानी में पैसा व्यर्थ मत करिए .साले ने फिर पटकनी दे दी थी 
                हमारी सहनशीलता जवाब दे गयी हम चिल्लाये - इतनी  देर से क्या आपका चूहा ,आपका चूहा लगा रखा है चूहा क्या मेरा है  सम्पूर्ण राष्ट्र का  है, समाज का है .दुकानदार बोला -देखिये सामाजिक चूहों पर बात करने का यह सही मंच नहीं है सामजिक चूहों के लिए हमारे पास चूहेदानी नहीं है वो तो खुद ही कैद हैं. क्या आप क्या मैं हम सभी चूहेदानी में फसे हुए है जवाब जोरदार था  अब मेरी हालत चूहों जैसी ओ चली थी दुकानदार की विजयी मुस्कान बता रही थी की मेरा मुह  भी चूहे के माफिक हो गया था . अछ्छा हुआ जो  भगवान ने अपना मुह खुद ताकने की  शक्ति आदमी को नहीं दी . वरना कौन आदमी अपने  चेहरे पर हार का रंग बर्दास्त  कर पाता.      
          वातावरण  चूहामय  हो   चला  था  आस  पास  मुझे  चूहे  ही  दिखाई  दे  रहे  थे .ये  सभी किसी  न  किसी  की  चूहेदानी  में  फंस  रहे  थे  कही  नेता  की,  कही  डोक्टर  की , कही  वकील  की ,पडोसी  की , प्रेमिका  की  सभी  फंस  रहे  हैं  किसी  न  किसीकी  चूहेदानी   में  .
   दुकानदार  से  बचने   के  ख्याल  से  हमने  अगला  दाव   फेंका  - चूहेदानी  का  रंग  कोई  दूसरा  दिखाईये . दुकानदार  बोला - चूहे  की  पसंद  बताईये . हमने  पूछा- अरे  मगर  क्यों ?बोला -कमाल  करते  हैं  फंसना  चूहे   को  है  और  उसपर  आप  अपनी  पसंद  का  रंग  थोपते  हैं . जैसे  मैं  साक्षात्  नारायण  के  दर्शन  कर  रहा  था  . अर्जुन  को  गीता  उपदेश  मिला  था  मुझे  चूहा  उपदेश  मिल  रहा  था . सच  कहा  है  कब   किस  भेष  में  मिल  जाये  नारायण .
      औरते  जिस  साहस  से  आधी  कीमत  बोल  कर  दूकान  से  सहजता  के  साथ  उतर  जाती  है ,उस  अदम्य  साहस  का  मुझमे  पूर्ण  आभाव  था ,फिर  मेरा  सामना  भी  एक  असाधारण  दुकानदार  से  था . तो  बिना  चू -चपड किये  हमने  चूहेदानी  खरीदी  और  घर  चले ,रास्ते  में  एक  ही  प्रार्थना  करते  - कि हे - चूहा  भाई  कम  से  कम  एक  बार  फंस  केर   इस  चूहेदानी  कि  योग्यता  सिद्ध  कर  देना , वरना  पत्नी  यही  कहेगी  एक  चूहेदानी  भी  बढ़िया  नहीं  खरीद  सके ....................

Wednesday, October 12, 2011

Let's Blog: The secret of Happy Life

Let's Blog: The secret of Happy Life: Once upon a time a married couple celebrated their 25th marriage anniversary. They had become famous in the city for not having a single ...

Tuesday, October 11, 2011

मैं कमोड हूँ


मैं  कमोड हूँ . आदमी  की  असंख्य  अद्भुत  अविष्कारों  में  से  एक .
जी  हाँ  कलयुग  की  सबसे  बड़ी  खोज , बिलकुल  facebook   की  तरह  जहाँ ,
कम  से  कम  एक  बार  जाना  तो  आदमी  की  मजबूरी  है .
मैं  वो   HOT SEAT हूँ  जिसे  ग्रहण  करते  ही  आदमी  की  कल्पनाये
अंगडाई  लेने  लगती  है  सोच  विचार  के  तंतु  जाग  उठते  हैं .
इसीलिए  मैं  लेखको  , चिंतको , और  विचारशील  लोगो  की  पहली  पसंद  हूँ .
मेरा  आसन  ग्रहणकर  न  जाने  कितने  कहानियों , काव्यो , और  अविष्कारों  का  जन्म
संभव  हुआ .


आज  जब  आदमी  की  निजता (privacy) खतरे  में  है  ,
मैं  ही  उसे  नितांत  एकांत  उपलब्ध  कराता  हूँ .
यहाँ सिर्फ विचारों  का  ही  आना  संभव  है ,
मैं  ही  वो  एक  मात्र  जगह  हूँ  जहाँ  पत्निया  भी  पति  को
प्रताड़ित  करने  नहीं  आ  सकती  है .

नकली  चेहरों  की  दुनिया  में  मैं  आदमी  के  व्यक्तित्व  का   आइना  हूँ ,
जिसके  यहाँ  मैं  साफ  सुथरा  मुस्कराता  handsome  दिखू  तो ,
आदमीको  साफ  सुथरा  समझना ,
रोता  बदबूदार  दिखू  तो  तौबा  तौबा  करना

सच्चा  हो  या  झूठा  ,पापी  हो  या  सदाचारी  ,
मैं  ही  वो  हमाम  हूँ  जहाँ  सभी  नंगे  हैं ,
और  चलते  चलते  दुःख  की  घडी  में  जब  तुम्हे  रोने  को ,
कोई  कंधा  न  मिले ,छलकते  आसुओ   को  छुपाने  की  कोई
जगह  न  मिले , मैं  माँ  की  गोद  की  तरह  हूँ
जहा  बच्चा  रोता  है  फूट  फूट कर  सकून    पाने  को .....
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Wednesday, October 5, 2011