१५ जनवरी पटना का सबसे ठंडा दिन
कमबख्त सर्दी तो इस बार किसी सनकी गर्लफ्रेंड की तरह गले ही पड़ गयी है लौटती
है दो कदम पीछे ,फिर दुने वेग से वापस आकर लिपट जाती है, समझ नहीं आ रहा है की इससे पीछा कैसे छुडाऊ .दुबका रहता रजाई के आड़ में भोर तक , पर बकरे की माँ खैर मनाये कब तक .घुसता हूँ बाथरूम में मायूस थरथराते ,जैसे जाता है स्कूल कोई बच्चा बडबडाते, निकालता हूँ भड़ास अपनी कमोड पर,पिरोता हूँ दर्द
कुछ शब्दों में तोड़मरोड़ कर,
सर्दियों में शायद ,
दुनिया का सबसे कठिन काम है
नहाना ,
जैसे किसी बेसुरे को पड़े
भरी महफ़िल में गाना,
पानी गर्म गुनगुना
जान तो बचाता है .
पर उससे पहले ,
कपडे उतारने का जोखिम ,
सामने आ जाता है,
बंद शावर के नीचे
जगाता हूँ अपने
जमे हुए साहस को
बेसुरी आवाज में
गा गा कर, और
इसतरह निकलता हूँ
योध्धाओ की तरह नहाकर .
उफ ये सर्दी .........
कमबख्त सर्दी तो इस बार किसी सनकी गर्लफ्रेंड की तरह गले ही पड़ गयी है लौटती
है दो कदम पीछे ,फिर दुने वेग से वापस आकर लिपट जाती है, समझ नहीं आ रहा है की इससे पीछा कैसे छुडाऊ .दुबका रहता रजाई के आड़ में भोर तक , पर बकरे की माँ खैर मनाये कब तक .घुसता हूँ बाथरूम में मायूस थरथराते ,जैसे जाता है स्कूल कोई बच्चा बडबडाते, निकालता हूँ भड़ास अपनी कमोड पर,पिरोता हूँ दर्द
कुछ शब्दों में तोड़मरोड़ कर,
सर्दियों में शायद ,
दुनिया का सबसे कठिन काम है
नहाना ,
जैसे किसी बेसुरे को पड़े
भरी महफ़िल में गाना,
पानी गर्म गुनगुना
जान तो बचाता है .
पर उससे पहले ,
कपडे उतारने का जोखिम ,
सामने आ जाता है,
बंद शावर के नीचे
जगाता हूँ अपने
जमे हुए साहस को
बेसुरी आवाज में
गा गा कर, और
इसतरह निकलता हूँ
योध्धाओ की तरह नहाकर .
उफ ये सर्दी .........
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