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Saturday, March 3, 2012

रिमोट का सुख

मनुष्य स्वाभाव से ही रोऊ प्राणी है ,उसे तो   बस रोने का बहाना चाहिए !आप आश्चर्य करेंगे की कैसे छोटी छोटी चीजे जीवन में दुःख का कारण बन  जाती हैं !आजकल मैं दुखी हूँ कि मेरे नसीब में रिमोट का सुख नहीं है !आप हँसिये पर मेरा दर्द भी महसूस कीजिये,रिमोट कोई साधारण सी चीज  नहीं रही अब!मैंने ये हमेशा ये महसूस किया है की यदि टीवी देखते समय रिमोट आपके हाथ में नहीं है तो आप दुनिया के सबसे बेवकूफ आदमी है !आप देखना कुछ चाहते है और रिमोटी,अर्थात रिमोट वाला व्यक्ति आप को कुछ और दिखाता रहता है !अगर रिमोटी confujed है की उसे क्या देखना है तो फिर आपका भगवान्  ही  मालिक  है,क्यूकि हर मिनट वह बोका रिमोटी चैनल बदल देता है और आप बंदरो की तरह इस चैनल से उस चैनल पर गुलाटी मारते रह जाते है ! इस लिए टीवी तभी देखे जब रिमोट आपके हाथ में हो !


मेरी समस्या कुछ अलग है !मेरी भोजनदाता प्रिय पत्नी ने दस वर्ष पूर्व वचन लिया था की जानू कम से कम रात का भोजन टीवी देखते साथ ही करेंगे !वचन देते समय मैंने ये कब सोचा था कि जानू कह कर मेरी जान निकालने का प्रबंध हो रहा है !तब जिस आग्रह में मुझे प्यार दिखाई दिया था आज उसमे घोर यातना दिखाई देती है !साहब !रिमोट छोडती ही नहीं और बलात लेने का साहस मैं जुटा नहीं पाता क्योंकि एक तो वचनबद्ध  दूसरा हंगामे का भय और तीसरा भोजन  जाना तय!तो खतरा उठाने के बजाय मै बोका मानुष कि तरह टीवी देखते रहना ही पसंद करता हूँ !और आनंद लेता हूँ रिमोट पर पत्नी के पियानो प्रदर्शन का ! क्रूर यातना से भरे होते  है मेरे दैनिक जीवन के ये  दो घंटे! गुजरता रहता हूँ कई सीरियलों में से एकसाथ और इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूँ कि .........................


....................नारी अब महान नहीं रही शायद .............ऐसा टीवी सीरियल बताते है! हर तरफ षड़यंत्र  करती नारी है ! माँ बेटे के खिलाफ ,पत्नी पति के खिलाफ ,बहन भाई के खिलाफ ,नारी हर जगह षड़यंत्र     कर रही है और घोर  आश्चर्य पुरुष पात्र नाच रहे है उनके इशारों पर! कैसा साहित्य लिखा जा रहा है,कैसे कैसे पात्र गढे जा रहे हैं!मानो हमारे नैतिक मूल्यों पर कर्फू लगा कर कहानियो में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया है ! पर आज कि नारी खुश है अपनी आजाद और बिंदास छवि को देख कर !ऐसा मैं इसलिए कह पा रहा हूँ कि कभी इन सीरियलों के विरुद्ध मैंने किसी नारी के विरोध के स्वर नहीं  सुने,उलटे इन सीरियलों के प्रति उनकी दीवानगी मुझे बेचैन कर देती है !


लेखक होना तो बड़ी जिम्मेदारी का कम है ,उसे अपनी अगली पीढ़ी के लिए ऐसे साहित्य का सृजन करना होता है जो उनमे नैतिकता के बीज बो सके !पर इन सीरियलों को देख कर मुझे ऐसा लगता है की लेखको को समाज को दूषित करने के लिए वैम्पो  को तैयार करने के मिशन पर लगाया गया है!
हमारी महान नारी दम तोड़ रही है ,पर आज की नारी इसके लिए चिंतित नहीं !मुझे भी  इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए !जिसके चरित्र का हनन हो रहा है आवाज भी उसे ही उठानी चाहिए !ऐसा लगता है आज के लेखक अपने निर्माता और निर्देशक के रिमोट से नियंत्रित होरहे है !


इसलिए कहता हूँ किआप रिमोट को हलके में नहीं ले सकते रिमोट राजा के दंड कि तरह है शक्ति का प्रतीकऔर मिलेगा भी शक्तिशाली हाथो में !नारी शक्ति के हाथो में !जिसके हाथ रिमोट दिखे समझिये वही घर का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति है!


बच्चो के लिए रिमोट वाली कार बनाने वाले ने कब सोचा था कि एक दिन रिमोट से सरकार भी चलायी जा सकेगी और घोर आश्चर्य उसका रिमोट भी किसी नारी के ही हाथो में होगा !मेरा विश्वास  करे मेरी बाते बेतुकी नहीं है आने वाला समय रिमोट का है अब आदमी कि सम्पन्नता महंगे मोबाइल और ज्वेलरी  से नहीं रिमोट से तय होगी कि किसके पास कितने रिमोट है और कहाँ कहाँ के !मै चिंतित भी इसी लिए हूँ कि सबकुछ  होते हुए भी  मेरे नसीब में रिमोट का सुख नहीं है !   
                                                                                                                            ब्रजेश 
      

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