ईश्वर ,
कितने बदल गए हो तुम,
तुम्हारी आदतें बदल गयी हैं ,
अब तुम ,
वातानुकूलित कमरे में बंद रहते हो ,
जल्दी बाहर नहीं आते ,
रे बैन की डार्क सन ग्लास लगाने लगे हो
पता नहीं
कौन सी परफ्यूम लगाने लगे हो ,
कि अब कामुकता ही बहने लगी है हवाओं में ,
रथ पर घूमना भी तुमने छोड़ दिया है ,
सुना है
अब लम्बी सी रॉयल्स रोस में घूमते हो तुम ,
जिसमे रियर मिरर नहीं लगा है ,
तुम्हारे पीछे क्या घटा
तुम्हे कुछ पता ही नहीं चलता ,
बांसुरी भी अब तुम्हे प्रिय नहीं रही
पता नहीं कौन सा वाद्य यन्त्र बजाने लगे हो
की जिससे तांडव का संगीत ही पैदा होता है
नहीं रहे अब तुम पालनहार ,
जैसे संहार का वायरस लग गया है तुम्हे
अपने स्टेटस में एक ही बात तुमसे कहना चाहता हूँ ईश्वर
हमारा नहीं तुम्हारा अस्तित्व संकट में है
तुम्हारे आगे हमारा अस्तित्व ही क्या !!!
हमारा नहीं तुम्हारा अस्तित्व संकट में है
तुम्हारे आगे हमारा अस्तित्व ही क्या !!!
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