Powered By Blogger

My Blog List

Friday, February 21, 2014

एजी sss


खतरों के संकेत के लिए लाल रंग के प्रकाश का प्रयोग होता है कुहासे के मौसम में पीली बत्तियां काम करती हैं क्युँ भला ?? सीधा सा जवाब तीव्रता के कारण ये आदमी को जल्दी दिखायी देती हैं! ऐसा ही कुछ सम्बोधन के साथ भी है! कुछ सम्बोधन अत्यंत नरम और कुपोषित होते हैं बड़ी मुश्किल से ही मुंह से निकल पाते हैं जैसे....... प्रिये ....जानु ....... ......डार्लिंग ...सुंदर शब्द गुदगुदाने वाले सम्बोधन पर एनेमिक, अत्यंत कमजोर बमुश्किल कानो तक पहुँचते हैं और कई बार तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं कमरे के बाहर जाने कि इनकी हैसियत ही नहीं होती ! सम्बोधनों कि भीड़ में मेरा ध्यान एक माचो सम्बोधन ....एजी sssssss पर चला जाता है आँखे चमक उठती हैं............. वाह!! क्या सम्बोधन है यंग और डायनामिक लाल रंग से भी ज्यादा तीव्र सुपर सौनिक स्पीड से टारगेट भेदता !पहले माले से आवाज लगाईये .....जानू.... फुस्स ..हो जाएगा ...नहीं पहुंचेगा गंतव्य तक ! चौथे माले पर चले जाईये आवाज लगाईये .....एजी sssss आदमी पलटेगा तुरंत पलटेगा ! मुझे तो लगता है बड़े कड़े वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के बाद ही इस सम्बोधन का प्रयोग शुरू हुआ होगा ! मैंने आजमाया... भीड़ में आवाज लगायी एजी SSSS .....कोई मुंडी नहीं घूमी सिर्फ एक को छोड़ कर मेरी श्रीमती जी.... .मैंने निष्कर्ष निकाला आदमी के कान अपना अपना एजी पहचानते है कन्फ्यूजन कि कोई सम्भावना नहीं ! नीम बेहोशी में सोये पड़े रहिये ......एजी SSSS .....आपको फ़ौरन होश में ले आएगा ! मेरा तो पूर्वानुमान इस मामले में इतना अच्छा हो गया है कि कई बार श्रीमती जी के मुँह से निकले इससे पहले ही पूछ बैठता हूँ क्या बात है .....पत्नी खुश हो जाती है जानू तुम कैसे समझ जाते हो कि मुझे कुछ कहना है ...मन ही मन में कहता हूँ क्या करूँ ....साथ साथ पानी में जो रहना है, मगर से बैर थोड़े करना है ! अबतो इस सम्बोधन कि ऐसी लत पड़ गयी है कि सच मानिये ..कान में कहे जाने वाले ...प्रिये ..जानू और डार्लिंग जैसे सम्बोधन मुझे बनावटी ,और ठग जैसे लगते हैं ....सुनते ही समझ जाता हूँ कि ठगा जा रहा हूँ !

  • एजी sss ! महज एक सम्बोधन ही नहीं एक पूरी तहजीब है एक सभ्यता है ! शादी के बाद मैं.. एजी वालों कि जमात में शामिल हो गया ! श्रीमती जी कभी कभार शिकायत करती हैं कि मैं ओल्ड फैशन्ड हूँ नाम से नहीं बुलाता ..........मैं परेशान हो जाता हूँ सर से पल्लू कि तरह अब ....एजी ...भी धीरे धीरे गायब हो रहा है .........एक सभ्यता नष्ट होने को है ......एजी सभ्यता ..... — traveling toPatna, India.